जन्म : 25 दिसंबर, 1926
भाषा : परिमार्जित खड़ीबोली
विधाएँ : उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंध, कविता, आलोचना
कहानी संग्रह : मुर्दों का गाव, स्वर्ग और पृथ्वी, चाद और टूटे हुए लोग, बंद गली का आखिरी मकान, सास की कलम से, समस्त कहानियाँ एक साथ
काव्य रचनाएँ : ठंडा लोहा, सात गीत, वर्ष कनुप्रिया, सपना अभी भी, आद्यन्त
उपन्यास : गुनाहों का देवता, सूरज का सातवां घोड़ा, ग्यारह सपनों का देश, प्रारंभ व समापन
निबंध : ठेले पर हिमालय, पश्यंती
कहानियाँ : अनकही, नदी प्यासी थी, नील झील, मानव मूल्य और साहित्य, ठण्डा लोहा
पद्य नाटक : अंधा युग
आलोचना : प्रगतिवाद : एक समीक्षा, मानव मूल्य और साहित्य
पद्मश्री, हल्दी घाटी श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार, महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन, सर्वश्रेष्ठ नाटककार पुरस्कार, भारत भारती पुरस्कार, महाराष्ट्र गौरव, व्यास सम्मान
आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिस श्याम बेनेगल ने इसी नाम की फिल्म बनायी। अंधा युग उनका प्रसिद्ध नाटक है। इब्राहीम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविन्द गौड़, रतन थियम, एम के रैना, मोहन महर्षि और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशको ने इसका मंचन किया है।
रचनाएँ
उपन्यास
- गुनाहों का देवता
- सूरज का सातवाँ घोड़ा
कविताएँ
- क्योंकि सपना है अभी भी
नाटक
- अंधा युग
- नदी प्यासी थी
निबंध
- आधी रात : रेल की सीटी
- क्षणों की अथाह नीलिमा
- काऊ बेल्ट की उपकथा
- काले पत्थर की अँगूठी
- ठेले पर हिमालय
यात्रावृत्त
- ठेले पर हिमालय