निदेशक

yogesh dubey
संस्थापक – डॉ योगेश दुबे

डॉ योगेश दुबे व्यक्तित्व

डॉ. योगेश दुबे का जन्म २८ जुलाई १९७४ को मुंबई में हुआ। आपने प्राथमिक शिक्षा संजीवन विद्यालय, पंचगनी से ली। मुम्बई विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि हासिल की। वीर बहादुर सिंग विश्वविद्यालय से बी.एड्,अहमदाबाद एविएशन अकादमी से पायलट एवं मुंबई से डिप्लोमा-इन हार्डवेअर एवं नेटर्वकिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

कर्मठता, प्रतिबद्धता और लगनशीलता के मेल से बना है | डॉ. योगेश दुबे का व्यक्तित्व कम उम्र में डॉ. योगेश दुबे ने सफलता की ऊँचाईयों को छुआ है और अपनी उपलब्धियों का विराट संसार रचा है। राजभाषा हिन्दी के प्रचार – प्रसार में इनका काफी योगदान रहा है। अध्यात्म, धर्म, संस्कृति में गहरा विश्वास रखनेवाले डॉ. दुबे मानवीय मूल्यों के रक्षक, जुझारू आंदोलनकारी और समाजसेवी हैं। आप भारतीय विकास संस्थान के अध्यक्ष, उत्तर भारतीय महासंघ के अध्यक्ष और महाराष्ट्र सांस्कृतिक विकास परिषद के चेयरमेन हैं। डॉ. योगेश दुबे नेशनल यूथ अवार्डी फेडरेशन के एक्जीक्यूटिव्ह चेयरमेन, यूनाइटेड नेशंस से जुड़ी संस्था टैम्पल ऑफ अंडरस्टेंडिंग के संयोजक हैं। जी.डी. कॉलेज ऑफ आर्ट्स, कॉमर्स एण्ड साइंस के ट्रस्टी, विदेश मंत्रालय से जुड़ी भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् के सदस्य हैं। भारत सरकार के राष्ट्रीय बाल संस्करण आयोग के सदस्य रहे हैं साथ ही कपड़ा मंत्रालय के सदस्य एवं भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य हैं। आप बाल-अधिकारों के विशेषज्ञ, रेल समिति के सदस्य, भारतीय खाद्य निगम के सदस्य, महाराष्ट्र सरकार के विशेष कार्यकारी अधिकारी भी हैं। साथ ही, संजय गांधी निराधार योजना समिति (महाराष्ट्र शासन) के अध्यक्ष हैं। डॉ. दुबे अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन, अखिल भारतीय मराठी नाट्यकला परिषद, महाराष्ट्र मराठी साहित्य परिषद, मुम्बई मराठी ग्रंथ संग्रहालय एवं विदर्भ साहित्य सभा के सदस्य भी हैं। आपके लेखन में छिपा संवेदनशील भावुक मन इससे झलकता है कि किसी भी छोटे – बड़े साहित्यिक आयोजनों में मन:पूर्वक सहभागिता निभाते ऩजर आते हैं। आपकी कविता : ‘अक्षत – चंदन’, कहानी : ‘आसमान’, ‘सॉंझ’, ‘प्रांजल’ में आधुनिक समाज और मानवता का अद्-भुत समन्वय देखने को मिलता है। आपकी अंग्रेजी में लिखी पुस्तक ‘द ग्रेट रिवोल्यूशन’, ‘अलीपुर बम कॉन्सपीरेसी’, ‘द कॉलोनियल-रूल’ इतिहास पर – शोधपूर्ण पुस्तके हैं। आपने ‘रामचरितमानस में चरित्र – सृष्टि’ विषय पर मुम्बई विश्वविद्यालय पी.एच.डी. की उप़िध हासिल की। आप भाषा एवं साहित्य अनुरागी हैं। साहित्य एवं समाजसेवा के क्षेत्र में सकारात्मक भूमिका निभाते हुए उत्कृष्ट कार्य करने वाले युवा व्यक्तित्व को पुरस्कृत करते रहे हैं। विश्वविद्यालयों एवं हिन्दी संस्थानों द्वारा सम्मानित होते रहे हैं। विश्व हिन्दी सम्मेलनों (मॉरीशस, न्यूयॉर्क, जोहनिसबर्ग – अफ्रीका) में आपकी विशेष भूमिका एवं सहभागिता सर्वविदित है।

हिन्दी और उर्दू के प्रचार – प्रसार के लिए राष्ट्रस्तरीय एवं राज्यस्तरीय हिन्दी साहित्य तथा कवि-सम्मेलनों का आयोजन करना, हिन्दी नाटकों का मंचन करवाना, हिन्दी पुस्तकों तथा पत्रिकाओं की प्रदर्शनियों का आयोजन, सिनेमा व दूरदर्शन के कार्यक्रमों में हिन्दी भाषा का अधिक से प्रयोग करने हेतु सार्थक प्रयास करना, अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी कार्यशालाओं का आयोजन करवाना व भाग लेना डॉ. योगेश दुबे के व्यक्तित्व का एक विशेष पहलू है।