भाषा : हिंदी, बांग्ला
विधाएँ : कहानी, कविता, आलोचना
शोध – पं. सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के उपन्यास साहित्य का समाजशास्त्रीय अध्ययन।
मुख्य कृतियाँ
कहानी– बुलबुला, फैसला (समनव्य पूर्वोत्तर पत्रिका में प्रकाशित)
कविता– बचपन से आजतक, एक दिन, भूख, रिश्तें,ऐसा क्यों होता है?, मेरे बाग के फूल, रंग जिन्दगी के, सवाल नज़रों का, हज़ारों ख्वाहिशें दिल में, न मजबूर करों किसी को, चाह कर भी, तेरे साथ -(अनुभूति, मुक्त कथन, तथा वैश्य-वसुधा तथा प्रतिध्वनि पत्रिका में प्रकाशित)
आलोचना– उपन्यासकार निराला–एक अध्ययन (पुस्तक)
आलोचनात्मक प्रपत्र (प्रतिष्ठित पत्रिकाओं, पुस्तकों तथा ऑनलाइन पत्रिकाओं में प्रकाशित)
1) निराला के उपन्यास में सामाजिक चेतना।
2) वापसी और अकेली कहानी में व्यक्त अकेलापन।
3) निराला के उपन्यास में अभिव्यक्त दलित चेतना।
4) निराला के उपन्यास के स्त्री पात्र।
5) प्रतिभा राय की स्त्री चेतना द्रौपदी के संदर्भ में।
6) आधुनिकता की अवधारणा।
7) त्रिपुरा की जनजातियाँ।(सह-लेखन)
8) पूर्वोत्तर भारत में हिन्दी भाषा का शिक्षण।
9) धामाइल-सिलेठी बांग्ला लोक गीत एवं लोक नृत्य।
10) यशपाल की दिव्या और अस्मिता बोध।
11) शेखर एक जीवनी उपन्सास का भाषा शिल्प।
12) उषा प्रियंवदा की कहानियों में निहित अकेलेपन की समस्या।
13) सिनेमा में समाज, समाज में सिनेमा।
14) आपका बंटी उपन्यास में बाल मनोविज्ञान का चित्रण।
15) रामविलास शर्मा के कविताओं में मार्क्सवाद।
16) मीडिया का सामाजिक कर्तव्य।
17) साहित्य में विभाजन की त्रासदी का स्वर।
18) बदलते पारिवारिक मूल्यों तथा मानवीय सम्बन्धों को दर्शाता उपन्यास-दौड़।
19) मंजुल भगत की कहानियों को भाषा एवं शिल्प।
20) जनजातीय नारी के जीवन के संघर्ष तथा सरल प्रेम को दर्शाती कहानियाँ।
21) वर्तमान भारत में गुरू शिष्य परम्परा- इतिहास बनाम आज का यथार्थ।
22) सामाजिक कुरीतियों एवं रूढ़ियों को चुनौति देता आत्मकथात्मक उपन्यास—दोहरा अभिशाप।
23) स्त्री जीवन के संघर्ष एवं मजबूरियों को उजागर करता नाटक-लप्या।
24) कृष्णा सोबती के उपन्यास गुजरात पकिस्तान से गुजरात हिन्दुस्तान में राष्ट्रीय चेतना।
25) भारतीय नवजागरण एवं रविन्द्रनाथ ठाकुर के उपन्यास—गोरा उपन्यास के विशेष संदर्भ में।
26) दूरदर्शन तथा फिल्मों का हिन्दी प्रचार-प्रसार में योगदान।
27) गबन की आधुनिक प्रासंगिकता।
28) कामायनी में उदात्त तत्व।
29) नागार्जुन की कविता में मानवतावादी चेतना।
सम्पादित पुस्तकें – आधुनिक युग में प्रेमचन्द साहित्य की प्रासंगिकता(मुख्य सम्पादक), प्रवासी साहित्य और हिन्दी भाषा का महत्व(मुख्य सम्पादक), गद्य आलोक (गद्य संकलन)
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