भाषा : हिंदी
विधाएँ : उपन्यास, कहानी, नाटक
देवयानी का कहना है, एक घिसा हुआ चेहरा, पिता दर पिता, कलकत्ता से दिल्ली तक, तलघर, बाहर आए हुए लोग, खाली जेब, मेज पर टिकी कुहनियाँ
रचनाएँ
कहानियाँ
- अगले मुहर्रम की तैयारी
- अंत्याक्षरी
- अलग-अलग कोण
- आम-नीम-बरगद
- एक अमूर्त तकलीफ
- एक समानांतर कहानी
- किस्सा एक शुतुरमुर्ग का
- कोई और
- कोरे कार्ड के चार टुकड़े
- जो सफल हैं
- तवाँ करदन तमामी उम्र
- थर्मस में कैद कुनकुना पानी
- पूरे सोलह आने-भर
- प्रार्थना
- पैरोडी
- बगैर शेड वाले बल्ब की रोशनी
- मेज पर टिकी हुई कुहनियाँ
- मुमताज महल का इयरिंग
- हरी मछली के खेल
व्यंग्य
- एक और पंचतंत्र