मूल नाम : शिवप्रसाद सिंह जन्म : 19 अगस्त 1928 भाषा : हिंदी विधाएँ : कहानी, उपन्यास, निबन्ध, आलोचनात्मक लेखन जीवनी
शिवप्रसाद सिंह (19 अगस्त 1928 – 28 सितम्बर 2008) नाटककार , कहानीकार , उपन्यासकार होने के साथ – साथ ललित और वैचारिक निबन्धकार भी हैं । ‘सूर-पूर्व ब्रजभाषा और उसका साहित्य’ इनका महत्वपूर्ण शोध है। कहानी-संग्रह : ‘आर-पार की माला’, ‘कर्मनाशा की हार’, ‘शाखामृग’, ‘इन्हें भी इंतजार है’, ‘मुर्दा सराय’, ‘चर्चित कहानियां’, ‘अंधेरा हॅंसता है’, ‘राग गूजरी’ और ‘भेदिए’ सरीखे कहानी-संग्रहों के अतिरिक्त दो भागों में संपूर्ण कहानियां भी। उपन्यास : ‘अलग-अलग वैतरणी’ इनका पहला उपन्यास है। ‘गली आगे मुड़ती है’ के बाद आया ‘नीला चांद’। इस पर इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला। आलोचना-निबंध : निबंधों में ‘शिखरों के सेतु’, ‘कस्तूरी मृग’ और ‘चतुर्दिक’ संग्रह महत्वपूर्ण हैं। रिपोतार्ज ‘अंतरिक्ष के मेहमान’ और नाटक ‘घाटियां गूंजती हैं’ की खासी चर्चा रही। आलोचनात्मक लेखन में ‘विद्यापति’, ‘आधुनिक परिवेश और नवलेखन’ तथा ‘आधुनिक परिवेश और अस्तित्ववाद’ को विशेष महत्व का माना गया। |